बुढ़ापे में शरीर में कई बदलाव आते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों में होता है।
70 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं बहुत आम हो जाती हैं।
उम्र बढ़ने के साथ हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, मांसपेशियों की ताकत घटती है और जोड़ों में दर्द या अकड़न जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं। यह लेख इसी विषय पर केंद्रित है।
मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम क्या है?
मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम हमारे शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों, जोड़ों, लिगामेंट्स और टेंडन्स से मिलकर बना होता है।
यह न केवल हमें खड़े रहने, चलने और काम करने की क्षमता देता है, बल्कि शरीर को संरचना और सहारा भी प्रदान करता है।
बुजुर्ग महिलाओं में प्रमुख समस्याएं
1. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और वे कमजोर व भुरभुरी हो जाती हैं। महिलाओं में रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण यह समस्या अधिक होती है।
लक्षण:
- पीठ या कमर में दर्द
- कद में कमी आना
- मामूली चोट में भी हड्डी टूट जाना
2. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
यह जोड़ों की सबसे आम बीमारी है, जिसमें जोड़ों का कार्टिलेज घिस जाता है, जिससे हड्डियाँ आपस में रगड़ खाने लगती हैं।
लक्षण:
- घुटनों, कूल्हों या हाथों में दर्द
- सुबह उठते समय अकड़न
- चलने-फिरने में कठिनाई
3. सारकोपीनिया (Sarcopenia)
यह उम्र के साथ मांसपेशियों के कमज़ोर होने और मांसपेशीय द्रव्य के कम होने की स्थिति है। यह गिरने और चोट लगने के खतरे को बढ़ा देता है।
लक्षण:
- कमजोरी महसूस होना
- धीमी गति से चलना
- संतुलन बनाने में परेशानी
4. पीठ दर्द और रीढ़ से संबंधित समस्याएं
बुजुर्ग महिलाओं में रीढ़ की हड्डी में बदलाव, डिस्क का क्षय, या कशेरुकाओं (vertebrae) में संकुचन के कारण पीठ दर्द आम होता है।
इन समस्याओं के मुख्य कारण
- उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों और मांसपेशियों की गुणवत्ता में गिरावट
- शारीरिक गतिविधि की कमी
- पोषण की कमी, विशेष रूप से कैल्शियम और विटामिन D की
- हार्मोनल परिवर्तन
- आनुवंशिक कारक
- धूम्रपान और शराब का सेवन
रोकथाम और देखभाल
1. संतुलित आहार
- कैल्शियम और विटामिन D: दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सूरज की रोशनी
- प्रोटीन: दालें, अंडे, सोया, मछली आदि मांसपेशियों के लिए आवश्यक हैं।
- एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर: हड्डियों और जोड़ों की सूजन कम करने में सहायक।
2. नियमित व्यायाम
- वॉकिंग, योग, स्ट्रेचिंग और हल्का वेट ट्रेनिंग मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
- संतुलन और लचीलापन बढ़ाने वाले व्यायाम गिरने से बचाने में मदद करते हैं।
3. हड्डियों की जांच
- बोन मिनरल डेंसिटी (BMD) टेस्ट से समय-समय पर हड्डियों की ताकत का पता लगाया जा सकता है।
- डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम और विटामिन D की दवाएं या सप्लीमेंट्स लें।
4. सही जीवनशैली अपनाएं
- धूम्रपान और अत्यधिक शराब से बचें
- पर्याप्त नींद लें
- तनाव को कम करने के लिए ध्यान और प्राणायाम करें
गिरने से बचाव के उपाय
- फर्श को सूखा और साफ रखें
- बाथरूम में नॉन-स्लिप मैट्स का प्रयोग करें
- सीढ़ियों में पकड़ने के लिए रेलिंग होनी चाहिए
- रात को बाथरूम जाते समय उचित रोशनी हो
- आरामदायक और ग्रिप वाले जूते पहनें
चिकित्सकीय देखभाल और उपचार
यदि कोई महिला पहले से ही हड्डी या जोड़ों की किसी समस्या से जूझ रही हो, तो उसे नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। कई बार निम्नलिखित उपचारों की आवश्यकता पड़ सकती है:
- दवाएं: ऑस्टियोपोरोसिस के लिए बायफॉस्फोनेट्स, विटामिन D और कैल्शियम सप्लीमेंट्स।
- फिजियोथेरेपी: जोड़ों का दर्द और जकड़न कम करने के लिए व्यायाम योजना।
- सर्जरी: गंभीर मामलों में जोड़ों का प्रतिस्थापन (जैसे घुटने या कूल्हे का रिप्लेसमेंट)।
निष्कर्ष
70 वर्ष की उम्र के बाद मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य का ध्यान रखना न केवल शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह स्वतंत्र जीवन जीने की कुंजी भी है।
नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, समय पर जांच और सकारात्मक सोच के साथ महिलाएं इस उम्र में भी स्वस्थ और सक्रिय रह सकती हैं।
हमें अपने बुजुर्गों को यह समझाना चाहिए कि बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं, परंतु उनका समाधान भी संभव है।
सही जानकारी, देखभाल और जीवनशैली से वे लंबे समय तक आत्मनिर्भर और स्वस्थ रह सकती हैं।