Water pollution in hindi – क्या ‘जल प्रदूषण’ के असली वजह जानते है, आप !

दोस्तों आज हम जल प्रदूषण ( jal pradushan ) पे बात करेंगे। आज जा विषय है – क्या ‘जल प्रदूषण’ के असली वजह जानते है, आप ! ( Main topic – Water pollution in hindi )

अगर आप इस विषय ( jal pradushan ) पर कोई लेख तलाश रहे हैं अपने स्कूल या कम्पटीशन की तैयारी के लिए तो ये लेख (Water pollution in hindi) आपके काम आएगा !

जल प्रदूषण – ( jal pradushan or Water pollution in hindi )

आज के समय मे वर्षा की अनियमित स्थिति या कम वर्षा आदि और बढ़ते जल खपत के कारण निरंतर जल की कमी का आंकलन किया जा रहा है।

साथ ही प्राकृतिक जलस्रोतों में मानवीय गतिविधियों के कारण कई हानिकारक पदार्थों जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित होते जा रहा है।

वास्तव में यही स्थिति जल प्रदूषण को निर्मित करती हैं। निरंतर जल के मात्रा और गुणवत्ता में कमी आने से मानव जीवन पर काफी बुरा असर पड़ेगा।

क्या है जल प्रदूषण ( jal pradushan)

किसी भी माध्यम से जल में हानिकारक पदार्थों के मिलने से यदि उसके भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म प्रभावित होते हैं।

जिसके कारण जल की गुणवत्ता पर प्रदूषकों के हानिकारक दुष्प्रभावों बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और तब वो प्रदूषित जल घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक कृषि अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग के योग्य नहीं रह जाता।

तब इस स्थिति को जल प्रदूषण कहा जाता है।

जब यह दूषित जल किसी स्वच्छ जलस्रोत में जाकर मिलता है तो यह उसे भी दूषित कर देता है।

दूषित जल में कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिकों एवं कई हानिकारक रसायनों के साथ विषाणु, जीवाणु और अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव रहते हैं , जिसका उपयोग करने से मानव जीवन विभिन्न प्रकार के बीमारियों से ग्रसित होते चले जा रहा है।

दोस्तों उम्मीद करते हैं की इस लेख Water pollution in hindi में अब तक दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी। आइये अब jal pradushan के माध्यम को भी देखते हैं।

जलस्रोतों का प्रदूषण, बिन्दु और विस्तृत दो माध्यम से होता है :-

1. बिन्दु स्रोत के द्वारा होने वाले प्रदूषण

जब किसी निश्चित क्रिया प्रणाली जैसे कि उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल निकलकर सीधे जलस्रोत में मिलता है तब इसे ही बिन्दु स्रोत जल प्रदूषण ( jal pradushan ) कहते हैं।

चूंकि यह एक सीमित क्षेत्र में होता है, इसलिये ऐसे प्रदूषण स्तर को कम करने के कारगर उपाय किये जा सकते है।

2. विस्तृत स्रोत के द्वारा होने वाले जल प्रदूषण ( jal pradushan )

कई अलग अलग माध्यम से मानवीय गतिविधियों के द्वारा दूषित जल किसी बड़े जल स्रोत में मिलता है तब इसे विस्तृत स्रोत जल प्रदूषण कहते हैं।

जैसे छोटे छोटे नालों का जल आकर नदियों में मिलना ,चूंकि ये बहुत बड़े क्षेत्र में फैला होता है। इसलिये इसे उपचारित करना असंभव है।

जलस्रोतों की भौतिक स्थिति को देखकर आसानी से ही उनके जल के प्रदूषित होने का आंकलन किया जा सकता है।

जैसे कि जल का रंग, गंध, स्वाद साथ साथ जलीय खरपतवार की संख्या में इजाफा, जलीय जीवों की संख्या में कमी , जल के सतह पर तैलीय पदार्थों का तैरना आदि जल प्रदूषित होने के मुख्य तथ्य हैं।

इसके अलावा जलस्रोतों में अम्लीय , क्षारीय निस्राव या धात्विक प्रदूषकों का निस्तारण से भी जल प्रदूषित होता है ।

कुछ सामान्य जल प्रदूषक

कुछ प्रदूषक निम्ननुसार हैं, जो जल प्रदूषण में अपनी प्रमुख भागीदारी निभाते है

1. मानव और जानवर का मल-जल और कार्बनिक अपशिष्ट।

2. अस्पतालों से निकलने वाला अपशिष्ट।

3. कृषि-कार्य हेतु उपयोग में लाये जाने वाले उर्वरक, और कीटनाशक ।

4. औद्योगिक दूषित जल के विभिन्न रसायन, लवण या धातुयुक्त जल।

5. घरेलू ठोस अपशिष्ट ।

यहाँ कुछ प्रदूषक के बारे में संक्षिप्त में बात करेंगे

1. कीटनाशक या जैवनाशक से

फसलों को बचाने के लिये जिन कीटनाशकों और पेस्टिसाइड का छिड़काव फसलों पर किया जाता है, ये रसायन पौधों की सतह पर जम जाते हैं।

और जब वर्षा के दिनों में पौधों पर बारिश होती है ,तब जल में घुलकर जल के साथ कोलायडल विलयन बना लेते हैं। जो जल के स्रोत से मिलकर उसे हानिकारक बना देते है।

2. मलजल अपवहन से

बढ़ती आबादी के कारण सीवेज अपशिष्ट की मात्रा में भी वृद्धि हुई है।

मल-जल के उपचार व्यवस्था सभी जगह पर उपलब्ध नही होने के कारण बड़ी मात्रा में इसका निस्तारण नदियों में किया जाता है।

3. औद्योगिक दूषित जल से

विभिन्न उद्योगों से कई अलग अलग प्रकार का दूषित जल उत्पन्न होता है।

ये प्राकृतिक जलस्रोतों पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। सभी दूषित जल काफी खतरनाक होते है।

4. विकिरणयुक्त रसायनों से

कई नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों, नाभिकीय परीक्षण केंद्रों, ऐसी प्रयोगशालाओं, जहाँ विकिरण सम्बन्धी प्रयोग किए जाते हैं.

इन केंद्रों से निकलने वाले दूषित जल में बड़ी मात्रा में रेडियो विकिरण उत्पन्न करते हैं। जो जल को जहरीला बनाते हैं।

5. पेट्रोलियम और तेलयुक्त पदार्थों से

सामुद्रिक गतिविधियों के दौरान समुद्री जहाजों से तेल का रिसाव और तेल व पेट्रोलियम उत्पादों के बड़ी मात्रा में दोहन आदि से समुद्री जल में तेल एवं पेट्रोलियम पदार्थों के अपशिष्ट का बहाव होता है।

ये बड़ी मात्रा में समुद्री जल को प्रभावित करते हैं।

6.प्लास्टिक एवं पॉलीथीन बैग्स से

वैसे तो प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है और पॉलीथीन भी जैविक रूप से नष्ट नहीं हो पाते है।

जल में इन्हें डाले जाने पर इनमें जलीय जन्तुओं के फँसने से मर जाते है, साथ ही कई जलीय वनस्पति भी इनमें फँसकर सड़ जाती हैं , जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

जल प्रदूषण की समस्या निदान आवश्यक

1. कुछ उद्योग का दूषित जल अत्यंत गन्दा या विषैला तो कुछ उद्योगों का दूषित जल सामान्य होता है।

इस सामान्य जल को पुनर्चक्रित कर किसी अन्य कार्य में उपयोग किया जा सकता है।

2.ज्यादा से ज्यादा प्रयास हो कि स्वच्छ जलस्रोतों में प्रदूषित जल को मिलने ना दिया जाये।

स्रोत से निकले बेकार जल को किसी अन्य उपयोग में लाना उचित होगा अथवा निर्धारित मानदंडों के अनुरूप उपचार के पश्चात ही उपचारित जल को यदि आवश्यक हो तभी जलस्रोत में प्रवाहित किया जाना चाहिए।

3. मानव द्वारा जलस्रोतों में होने वाली कई प्रदूषणकारी गतिविधियों जैसे नदियों/तालाबों पर शौच , अन्य कार्य मे घरेलू कचरा, मूर्तियाँ या पूजन सामग्री का विसर्जन, शवों को नदियों में बहाना आदि पर कड़ाई से रोक लगाना चाहिए।

4.वर्षा के सामान्य बहाव के द्वारा खेतों में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक फर्टिलाइजर एवं पेस्टीसाइड के नदी में आकर मिलने से रोकने का उपाय करना चाहिये।

5.वर्तमान स्थिति को देखते हुऐ यथा सम्भव नदियों और तालाबो में शून्य निस्राव की स्थिति रखनी चाहिए। उत्पन्न सभी प्रकार के दूषित जल को उपचारित कर औद्योगिक उपयोग, वृक्षारोपण, सड़कों, उद्योगों में जल छिड़काव आदि कार्य में उपयोग किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

पृथ्वी पर निरंतर जल प्रदूषण का बढ़ना, भविष्य में पेयजल के आपूर्ति के लिये भयावह स्थिति पैदा कर सकता है।

इस लेख ( Water pollution in hindi – क्या ‘जल प्रदूषण’ के असली वजह जानते है, आप ! ) में जल प्रदूषण कारण , प्रभाव, निदान और परेशानी के बारे में विस्तार से बताया गया है।

जिससे आपको जल प्रदूषण से होने वाली दिक्कतों को समझने में और उसके निदान में आसानी होगी ।

उम्मीद है कि अब आप अपने स्तर पर जल को प्रदूषित होने से बचाने के प्रयास जरूर करेंगे।

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