Famous temples in Kanpur – कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर : कानपुर के कुछ मंदिर काफी प्राचीन हैं। तीर्थयात्री बड़ी संख्या में उन देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं कानपुर के सभी मंदिर धार्मिक पर्यटन के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण मने जाते है
कानपुर आइये और यहाँ के धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना करके अपनी आध्यात्मिक खोज को पूरा कीजिये ।
त्योहारों के मौसम में इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
यूं तो कानपुर में अनेकों मंदिर हैं लेकिन कुछ मंदिरों की महत्ता लोगों की जुबान पर हमेशा बनी रहती है।
इन मंदिरों को लेकर भक्तों का मानना है कि इनके दर्शन मात्र से ही हर मनोकामना पूर्ण होती है।
इससे पहले भी हमने कानपूर के कुछ प्रमुख टूरिस्ट जगहों के बारे में लिखा था। आप वो लेख यहाँ पढ़ सकते हैं। सो आइये देखते हैं Famous temples in Kanpur ( कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर )
अगर आप वीडियो देखना चाहें ! – Famous temples in Kanpur ( कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर )
1) मां जंगली देवी
माँ जंगली देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है ,गहरे और घने जंगल के बीच में होने के कारन ये स्थान जंगली देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर में माता की मूर्ति के साथ भी एक मान्यता जुड़ी हुई है माता जी प्रतिमा के सामने जो भक्त पूरी आस्था के साथ चेहरे को निहारता है तो प्रतिमा का रंग धीरे-धीरे गुलाबी होने लगता है तो समझो मनोकामना पूरी हो गई.
वैसे तो पूरे साल यहां भक्त आते हैं पर नवरात्र में यहां का महत्व और बढ़ जाता है. इससे मंदिर से जुड़ीं कई अनोखी मान्यताएं हैं।
कहते हैं कि यहां पर जो भी भक्त माँ की प्रतिमा पर जल और नारियल का पानी चढ़ाते है वह पानी प्रतिमा के पीछे बनी नाली से होकर गुजरता है।
जो भक्त वहां पर ईट रखता है और कुछ दिन बाद वही ईट अपने निर्माणाधीन मकान में लगाने से तरक्की होती है और घर का काम जल्दी बन जाते है.
भक्त किरण के मुताबिक पिछले दस साल से माता के मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं. उनकी अनुकम्पा से सभी बिगड़े काम बनते चले जा रहे हैं।
ऐसे बहुत से श्रद्धालु हैं जिनकी दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी हो रही हैं.
2) बारा देवी मंदिर – 1700 Years Old Temple Of Bara Devi In Kanpur
कहते है जहा आस्था होती है वहां एक पत्थर की मूरत भी भगवान बन जाती है। लोगों की कुछ ऐसी ही आस्था है कानपुर के बारा देवी मंदिर पर।
कानपुर का बारा देवी मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का इतिहास तो किसी को भी नहीं पता लेकिन कानपुर और आस-पास की ज़िलों में रहने वालो लोगों में इस मंदिर की देवी के प्रति अटूट आस्था है।
तभी साल के बारह महीनों और ख़ास कर नवरात्रि में लाखो भक्तों की अटूट आस्था इस बारा देवी मंदिर में भीड़ के स्वरुप में देखने को मिलती है।
मंदिर के लोगों की माने तो कुछ समय पर एएसआइ की टीम ने इस मंदिर का सर्वेक्षण किया था और यह पाया था की यह मूर्ती लगभग 15 से 17 सौ वर्ष प्राचीन है, इस मंदिर में लम्बे समय से आनी वाले भक्तों के अनुसार माँ उनकी हर मुराद पूरी करती है और यही वजह है की वह माँ के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा रखते है।
3)मां तपेश्वरी देवी मंदिर
मां तपेश्वरी देवी मंदिरकानपुर जिले के बिरहाना रोड के पटकापुर में स्थित है। मां तपेश्वरी देवी मंदिर निसंतान दंपतियों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है।
मां तपेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है।
हमारा के अनुसार श्री रामचंद्र जी के आदेशानुसार लक्ष्मण जी माता सीता को वाल्मीकि जी के आश्रम के समीप छोड़ कर चले गए थे।
सीता जी वाल्मीकि जी के आश्रम में जीवन यापन करने लगी।
नवरात्रि के दिन तपेश्वरी मंदिर में विशेष पूजन पूजा अर्चन किया जाता है और यहां पर विशाल मेले का आयोजन होता है।
लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर मां तपेश्वरी के दर्शन के लिए इकट्ठा होते हैं।
मां तपेश्वरी देवी मंदिर कानपुर शहर के प्रमुख बिरहाना रोड में स्थित है बिरहाना रोड प्रमुख तौर पर ज्वेलरी के बड़ी-बड़ी दुकानों के लिए कानपुर में मशहूर हैं।
इसके अलावा पटकापुर में आपको आपकी जरूरत की सभी वस्तुओं की दुकानें मिल जाएंगी। आप दर्शन करने के साथ-साथ यहां पर खरीदारी का भी आनंद ले सकते हैं।
4)आनन्देश्वर मंदिर
आनन्देश्वर मंदिर परमट कानपुर में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो कि भारत की प्रसिद्ध जूना अखाड़ा से संबंधित माना गया है।
यह भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यहां पर भक्तों की भीड़ प्रतिदिन देखी जा सकती है।
इस मंदिर के पीछे एक रोचक कहानी भी है।
आनंदी नमक एक गाय प्रतिदिन एक टीले पर जाकर बैठ जाती थी और जब वहां से वह चलने लगती थी उससे पहले वह अपना सारा दूध उसी टीले पर गिरा देती थी।
कई दिन बीत जाने के पश्चात जब वहां के चरवाहे ने देखा तो वह उसने राजा को यह सूचना दी राजा ने इस कौतूहल भरे विषय को देखने के लिए स्वयं वहां जाने का निश्चय किया कई दिनों तक आनंदी गाय के इस तरह से दूध बहा देने की घटना को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने उस टीले की खुदाई करवाने का आदेश दिया।
2 दिनों तक निरंतर खुदाई करने के पश्चात उस टीले के अंदर से एक विशाल शिवलिंग निकला भोलेनाथ का शिवलिंग देखकर राजा ने उस शिवलिंग की स्थापना उसी स्थान पर करने का निश्चय किया और विधि पूर्वक उस शिवलिंग का रुद्राभिषेक करवाया ।
रुद्राभिषेक करवाने के बाद उस शिवलिंग पर आनंदी गाय ने भी अपना दूध बहाना बंद कर दिया ऐसे में उस स्थान पर मिले शिवलिंग का नाम आनंदी गाय के नाम पर आनंदेश्वर शिवलिंग रखा गया तब से यह शिवलिंग आज भी विराजमान है और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
कई लोगों का यह मानना है कि यह छोटा काशी है यहां पर भगवान शिव साक्षात रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। और उनके समस्त कष्टों का निवारण करते हैं।
5)पनकी हनुमान मंदिर
कानपुर के पनकी में स्थित पनकी हनुमान मंदिर जहां हनुमान जी सभी भक्तों की मुरादे पूरी करते हैं।
पनकी हनुमान मंदिर की स्थापना के विषय में लोगों का यह मत है कि यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पूर्व बना था और इसकी स्थापना श्री श्री 1008 महंत श्री पुरुषोत्तम दास जी के द्वारा की गई थी।
पनकी हनुमान मंदिर के विषय में एक कहानी यह है कि महाराज पुरुषोत्तम दास जी एक बार चित्रकूट से लौट रहे थे।
तभी उन्हें इस स्थान पर एक विशाल चट्टान देखी उस चट्टान का आकार बजरंगबली के स्वरूप के समान था जिसे देखकर उन्होंने उस स्थान पर मंदिर निर्माण करने की इच्छा जाहिर की और विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद इस स्थान पर मंदिर की स्थापना की।
तब से आज तक यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला मंदिर माना जाता हैं।
इस हनुमान मंदिर में बुढ़वा मंगल के विशेष दिन पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जहां पर स्थानीय लोग के साथ साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग लाखों की संख्या में आकर बाबा के दर्शन करते हैं।
आप यहां पर पनकी मंदिर दर्शन करने के लिए आ रहे हैं तो हम आपको जानकारी दे दे कि यहां के पनकी मंदिर के समीप ही एक अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर भी है।
इस शिव मंदिर के पास में स्थित अत्यंत प्राचीन तालाब है जिसे कछुआ तालाब के नाम से जाना जाता है। यहां पर अत्यंत प्राचीन लगभग सौ से डेढ़ सौ वर्ष पुराने कछुए और मछलियां आज भी हैं।
श्रद्धालु पनकी मंदिर के हनुमान जी के दर्शन करने के उपरांत यहां पर कछुआ और मछलियों को भोजन कराने और शिव जी के दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं। पनकी स्थित हनुमान मंदिर से कछुआ तालाब की दूरी मात्र 500 मीटर की है।
सो सखियों अगर आप कानपूर यात्रा पे हैं तो इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें। उम्मीद करते हैं की Famous temples in Kanpur – कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर आपको पसंद आयी होगी।