60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य: समझ, चुनौतियाँ और समाधान

बुढ़ापे के साथ शरीर में शारीरिक परिवर्तन तो होते ही हैं, परंतु मानसिक और संज्ञानात्मक (Cognitive) परिवर्तन भी समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।

विशेष रूप से महिलाओं में रजोनिवृत्ति (menopause), हार्मोनल बदलाव, पारिवारिक जिम्मेदारियों का अंत, अकेलापन और सामाजिक भूमिका में बदलाव — इन सभी कारणों से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

60 वर्ष की आयु के बाद संज्ञानात्मक हानि और मानसिक बीमारियाँ, जैसे डिप्रेशन, डिमेंशिया और चिंता, आम हो जाती हैं। समय रहते समझदारी और देखभाल के ज़रिए इन समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है।


संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य क्या है?

  • संज्ञानात्मक स्वास्थ्य हमारे सोचने, याद रखने, समझने, निर्णय लेने और भाषा के प्रयोग की क्षमता से जुड़ा होता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में व्यक्ति की भावनात्मक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति आती है – जैसे कि मूड, तनाव से निपटने की क्षमता और दूसरों के साथ संबंध।

प्रमुख समस्याएँ

1. डिमेंशिया (Dementia)

यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता में गिरावट से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें याददाश्त, सोचने की शक्ति और व्यवहार पर असर पड़ता है।

प्रकार:

  • अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s disease)
  • वास्कुलर डिमेंशिया
  • फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया

लक्षण:

  • नई चीज़ें याद न रहना
  • बार-बार एक ही बात दोहराना
  • चीजें गलत जगह रखना
  • निर्णय लेने में कठिनाई
  • व्यक्तित्व में परिवर्तन

2. माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट (MCI)

यह एक प्रारंभिक स्थिति है जिसमें याददाश्त या सोचने की क्षमता कुछ हद तक कम हो जाती है, परंतु व्यक्ति रोजमर्रा के कार्य कर सकता है। समय रहते देखभाल की जाए तो डिमेंशिया को टाला जा सकता है।


3. डिप्रेशन (Depression)

बुजुर्ग महिलाओं में डिप्रेशन आम है, परंतु अक्सर इसे “उम्र का असर” समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

लक्षण:

  • लगातार उदासी या खालीपन महसूस होना
  • आत्मविश्वास में कमी
  • नींद या भूख में बदलाव
  • किसी भी काम में रुचि न होना
  • थकान और बेचैनी

4. चिंता (Anxiety)

यह स्थिति डिप्रेशन के साथ-साथ हो सकती है। इसमें व्यक्ति को लगातार डर, घबराहट और बेचैनी महसूस होती है।

लक्षण:

  • बार-बार चिंता करना
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • नींद न आना
  • ध्यान न लगना

5. नींद से जुड़ी समस्याएं

उम्र बढ़ने के साथ नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है। अनिद्रा (Insomnia), नींद में बार-बार जागना, या दिन में अत्यधिक नींद आना मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।


इन समस्याओं के कारण

  • हार्मोनल बदलाव: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन में कमी से मूड स्विंग्स, अवसाद और बेचैनी बढ़ सकती है।
  • शारीरिक बीमारियाँ: जैसे थायरॉयड, हृदय रोग, मधुमेह।
  • सामाजिक अलगाव: परिवार से दूरी, साथी का निधन, अकेलापन।
  • नकारात्मक सोच या आत्म-मूल्य में कमी
  • पुराने मानसिक आघात या भावनात्मक सदमे

रोकथाम और देखभाल के उपाय

1. सक्रिय और सामाजिक जीवन

  • मित्रों और परिवार के साथ समय बिताएं।
  • किसी सामाजिक समूह, क्लब या धर्मस्थल से जुड़ें।
  • दूसरों की सहायता करना आत्म-संतोष और मानसिक शक्ति देता है।

2. मानसिक व्यायाम

  • नई चीजें सीखना जैसे कि कोई भाषा या कला।
  • पहेलियाँ, सुडोकू, शतरंज जैसे गेम खेलना।
  • पुस्तकें पढ़ना या संगीत सुनना।

3. शारीरिक गतिविधि

  • नियमित वॉक, योग और प्राणायाम मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाते हैं।
  • व्यायाम से एंडोर्फिन (feel-good हार्मोन) बढ़ता है, जिससे मूड सुधरता है।

4. संतुलित आहार

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड (जैसे अखरोट, मछली) मस्तिष्क के लिए फायदेमंद है।
  • हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त आहार लें।
  • विटामिन B12 और D की नियमित जांच और पूर्ति करें।

5. नींद का ध्यान रखें

  • हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
  • सोने से पहले मोबाइल या टीवी का प्रयोग कम करें।
  • बिस्तर केवल नींद और विश्राम के लिए रखें।

चिकित्सकीय देखभाल

यदि लक्षण लगातार बने रहें, तो निम्नलिखित मदद ली जा सकती है:

  • मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से परामर्श
  • कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT)
  • एंटीडिप्रेसेंट या एंटी-एंग्जायटी दवाएं (डॉक्टर की सलाह से)
  • स्मृति जांच या न्यूरो-साइकोलॉजिकल टेस्ट

परिवार और देखभाल करने वालों की भूमिका

  • बुजुर्ग महिलाओं को अकेलापन महसूस न होने दें।
  • उनके आत्मसम्मान को बनाए रखें।
  • उनकी बातों को ध्यान से सुनें और भावनात्मक समर्थन दें।
  • समय-समय पर डॉक्टर की जांच करवाएं।

निष्कर्ष

60 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य का महत्व उतना ही है जितना शारीरिक स्वास्थ्य का।

समय पर ध्यान देने, परिवार के सहयोग, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से महिलाएं उम्र बढ़ने के बावजूद भी मानसिक रूप से सशक्त और संतुलित रह सकती हैं।

यह ज़रूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें और बुजुर्गों के जीवन को सम्मान और सहयोग से भरें, ताकि वे उम्र के हर पड़ाव में आत्मनिर्भर और खुशहाल रह सकें।

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