दोस्तों आज हम सोलह श्रृंगार की बात करेंगे – आलता डिज़ाइन – Alta Designs जो आपको पसंद आएंगे।
भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न प्रकार के धर्म तथा उन धर्मों से जुड़े रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। सभी धर्मों का विभिन्न पहनावा एवं उसके साथ पहने जाने वाले स्त्रियों के आभूषण बेहद दिलचस्प होते हैं।
वैसे तो इन भिन्न-भिन्न धर्मों में महिलाओं द्वारा धारण किए जाने वाले आभूषणों में काफी अंतर होता है।ज्यादातर आभूषणों में समानताएं देखने को मिलती हैं।
कई बार तो उन आभूषणों को पहनने के पीछे की मान्यता तथा कारण भी समान होते हैं। क्योंकि अंत में यह आभूषण परम्परा से ही तो जुड़े होते हैं और भारतीय परम्परा रिश्तों को जोड़ने का काम करती है।
त्यौहारों का मौसम आ चुका है। इस अवसर पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं।सोलह श्रृंगार की प्रक्रिया में सिर से लेकर पैरों तक का श्रृंगार किया जाता है।भारतीय संस्कृति में सोलह श्रंगार की व्याख्या बहुत सुन्दर तरीके से बताई गयी है जिसकी अपनी महत्तवता है सोलह सृंगार के १५ पायदान होते है लेकिन हम आज सिर्फ पांच चीजे माँ के बारे में जानेगे जोकि बहुत ही महत्व पूर्ण मानी जाती है जैसे सिन्दूर अलता मेहँदी ,पायल या बिछुआ ,चुरी या बैंगल
सबसे पहले हम पैर के श्रृंगार की बात करते हैं तो महिलाएं पायल और बिछिया पहनने के साथ ही पैर में महावर भी लगाती हैं।
महावर को आलता भी कहा जाता है। हमारी परंपरा में आलता का खास महत्व है वैसे तो यह काफी पुराना ट्रेंड है मगर, जैसे-जैसे लोग मॉर्डन होते जा रहे हैं ठीक उसी प्रकार आलाता लगाने के डिजाइनों में भी बदलाव देखा जा रहा है।
वैसे तो आप सभी ये जानते ही होंगे की आलता क्या होता फिर भी इसके बारे में थोड़ी सी जानकारी साझा करना चाहती हूँ और इससे जुड़े रोमांचक तथ्य के बारे में जानते है आलता एकक ठंडक पदार्थ जो पांव को ठंडक पहुँचती है आलता लाल रंग का एक तरल पर्दाथ होता है जिसे महिलाएं अपने हाथ और पैरों यानी के एडियों पर लगाती हैं।आ
लता से महिलाओं के पैर अभी अधिक सुंदर लगते है इसे सुहाग की निशानी भी माना जाता है। इस रस्म के पीछे हमारे पूर्वजों की मान्यता है कि यत्र नारी पुज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता मतलब जहां नारी को सम्मान दिया जाता है उसकी पूजा की जाती है वहां देवताओं की निवास होता है।
इसी तरह से इस रस्म के पीछे भी ऐसी मान्यता छिपी है कि नई दुल्हन को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।कहा जाता है कि थाली में कुमकुम रखकर दुल्हन के गृहप्रवेश के समय उसके पैर बनवाने से घर में लक्ष्मी के स्थाई निवास के साथ ही हमेशा सुख व समृद्धि बनी रहती है।
इसीलिए जब नई दुल्हन घर में आती है तो उसके पैरों के निशान घर के द्वार पर आ जाते हैं।आलता की रस्म जो की दुल्हन के गृह प्रवेश के दौरान की जाती है। इस रस्म में दुल्हन को अपने पैरों में कुमकुम लगाकर घर में प्रवेश करना होता है और उस कुमकुम की छाप घर के आंगन में छप जाती है। गृहप्रवेश की रस्म में ये सबसे महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि पैरों में आलता लगाने से ठंडक मिलती है और साथ ही तनाव कम हो जाता है प्राकृतिक तरीके से तैयार आलता सेहत के लिए फायदेमंद है. इसका निर्माण पान के पत्ते या लाक से किया जाता है.
कुछ राज्यों में जैसे बंगाल, ओडिसा, बिहार में दुल्हन के पैर में आलता लगाने के साथ-साथ दूल्हे के पैर में भी आलता लगाने की प्रथा होती है ।इसे सुहाग की निशानी माना जाता है. क्या आप जानते हैं कि ये आलता, मेहंदी की ही तरह आपके पैरों को ठंडक देता है.
चलिए यहाँ तक तो हमने इसकी महत्वता को जाना अब अगर हमने डिज़ाइन की बात नहीं की तौ गलत होगा वैसे तो बॉलीवुड मूवीज ने भी इस ट्रेंड को काफी बढ़ावा दिया है और आलता के नए-नए डिजाइन इंट्रोड्यूस किए हैं। आलता में भी महंदी की तरह अब अलग-अलग डिजाइंस उपलब्ध हैं। चलिए कुछ डिजाइंस के बारे में हम आपको बताते हैं।
चांद पट्टी डिजाइन –
आलता लगाने की सबसे आसान डिजाइन है ‘चांद पट्टी’। इस डिजाइन में पैरों की उंगलियों पर आलता लगाया जाता है और उसके कुछ नीचे आलाता से चांद बना दिया जाता है और फिर चांद के उपर-नीचे दो पट्टियां खींच दी जाती हैं।
मगर अब चांद पट्टी की डिजाइन में बदलाव हुआ है। अब ब्रश की सहायता से चांद को और पट्टी दोनों के आस-पास डॉट्स बना कर डेकोरेशन होती हैं, जो बेहद खूबसूरत लगती है। इसके बाद चांदी की पायल और बिछिया पहन कर आलता से सजे पैरों को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाया जा सकता है।
आलता आउटलाइन डिजाइन – Alta outline design
आप चाहें तो आलता से अपने पैर के पंजों की आउटलाइन बना सकती हैं। इसके लिए आप ब्रश का इस्तेमाल करें और आप चाहें तो बिना डिजाइन के पूरे पंजे पर आउटलाइन बन लें या फिर आप इसे थोड़ा डिजाइनर भी बना सकती हैं।
इसके लिए बेल पत्ती की चेन, मोर डिजाइन और एरेबिक डिजाइन बना सकती हैं। आप सिपंल पट्टीदार डिजाइन भी बना सकती हैं
महंदी के साथ आलता – Mehndi ke saath alta
अगर आप पैरों को मेहंदी और आलता दोनों से सजाना चाहती हैं तो आप पहले पैरों पर हिना लगा कर रचा लें और फिर पैरों में आलता से मेहंदी की डिजाइन पर आउटलाइन बनाएं।
आप चाहें तो मेहंदी लगाते वक्त ऐसी डिजाइन बनाएं जिसमें आलाता को फिल करने की स्पेस छोड़ दें मेहंदी के रचने के बाद उन जगहों को आलता से फिल कर दें। इससे पैर बेहद खूबसूर दिखाई देते हैं।
आलता विद स्पार्कल – Sparkle ke sath Alta
आपने स्पार्कल महंदी के बारे में सुना भी होगा और देखा भी होगा। मगर स्पार्कल आलता के बारे में नहीं सुना होगा। आप आलता के साथ यह एक्सपेरीमेंट भी कर सकती हैं।
आप पहले पैरों में आलता से डिजाइन बना लें और फिर उसी डिजाइन पर स्पार्कल से आउटलाइन बना लें। आप चाहें तो एक रंग या फिर 2 रंग का स्पार्क भी यूज कर सकती हैं। स्पर्कल न यूज करना चाहें तो आप गोल्डन और सिल्वर आईलइनर से भी आउटलाइन बना सकती हैं
अलता कैसे लगाया जाता है – Alta kaise lagate hain
अलता आप thin brush या earbud से भी बना सकते हैं
हिंदु उपनीसदों में में आलता का व्याख्यान मिलता है। इसे हिंदु धर्म में सोलहा श्रृंगार का एक हिस्सा माना गया है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण अपनी प्रेमिका राधा के पैरों में महावर लगाते थे वहीं से यह प्रथा शुरू हुई अब इस प्रथा ने फैशन का रूप धारण कर लिया है।
वैसे भारत में पहले पैरों और हाथों में आलता लगाने का ही ट्रेंड था, मगर जब देश पर मुस्लिम शासकों ने राज किया तब वह अपने साथ हिना लेकर भारत आए और तब से हिना का ट्रेंड भारत आया। मगर हिना के आने से आलता लगाने का क्रेज महिलाओं में कम नहीं हुआ।