Saalumarada Thimmakka Biography- Vriksha Mathe ( साल्लुमरदा थिम्मक्का जी की जीवनी- वृक्ष माते )

Saalumarada Thimmakka साल्लुमरदा थिम्मक्का जी एक सदा जीवन पर एक बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्वा वाली महिला है जीना जीवन हम सबके लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

Saalumarada Thimmakka साल्लुमारदा थिमक्का के जीवन का एक ही लक्ष्य है – वह इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना चाहती है।

पेड़ लगाने और उसके देखभाल करने के उनके अंतहीन प्रयासों ने पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।  हम सब प्रकृति को माँ मानते हैं पर साल्लुमारदा थिमक्का इस प्रकृति के लिए माँ का रूप हैं।

अपने जीवन के 80 वर्षों में 8000 से अधिक पेड़ लगाए जाने के बाद साल्लुमारदा जी को वृक्षा माते या पेड़ों की माँ का नाम दिया गया है।

साल्लुमरदा थिमक्का व्यक्तिगत जीवन – Saalumarada Thimmakka Personal life

सालाकुमारदा थिमक्का (Saalumarada Thimmakka) का जन्म कर्नाटक के गुब्बी तालुक में एक कम आय वाले परिवार में हुआ था। औपचारिक शिक्षा न होने के कारण, उन्होंने एक मजदूर के रूप में काम किया।

उनके पति का नाम चिक्कैया है जो हुलीकल गाँव के मूल निवासी थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। अपने पति के समर्थन और प्यार के साथ, वे दोनों पेड़ लगाने लगे और अपने बच्चों के रूप में उन पेड़ों की देखभाल करने लगे।

उसने अपना सारा प्यार पेड़ों को समर्पित कर दिया। वे पूरे दिन काम करते और फिर पेड़ों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करते।

उन्होंने पहले वर्ष में केवल 10 पौधे लगाए थे, लेकिन इससे उन्हें काफी शांति का एहसास हुआ । और फिर वे पेंड लगाते रहे। उन्हें अब अपने जीवन का एक नया उद्देश्य मिल गया था।

हर साल लगाए गए नए पेड़ों की संख्या अधिक से अधिक होती गई।  वे सिर्फ पौधे लगते ही नहीं थे, बल्कि उन पौधों के बड़े होने तक देखभाल भी करते थे ।

समय के साथ पेड़ों के साथ उसका लगाव इतना बढ़ गया कि लोग उन्हें वृक्ष माता कहने लगे । वर्ष 1991 में Saalumarada Thimmakka साल्लुमरदा थिम्मक्का जी ने अपने पति को खो दिया, लेकिन वो अपने जीवन लक्ष्य से जुडी रहीं ।

उन्होंने बाद में एक बेटा गोद लिया है, और अभी भी एक बहुत ही सरल जीवन जी रहीं है और अधिक से अधिक पेड़ लगा रहीं है।

उन्हें वृक्ष माते कहा जाता है – पेड़ों की माँ

साल्लुमद्र थिमक्का ने वृक्ष माते का उपनाम अर्जित किया है. अपने द्वारा लगाए गए कुल 8000 पेड़ों में शामिल 384 बरगद के पेड़ों के लिए वो एक माँ के रूप में काम कर रही है।

वह सिर्फ उन्हें लगाती ही नहीं है , बल्कि वह उन्हें पानी देती है और उनकी देखभाल करती है।

उन्होंने ऐसे पेड़ लगाए हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये है, लेकिन फिर भी उन्हें कभी पैसो का मुँह नहीं देखा और सादा जीवन वयतीत कर रही है।

उन्होंने पेड़ों के प्रति प्रेम दिखाकर मानव जाति पर एक छाप छोड़ी है। उन्होंने कई लोगों को पर्यावरणविद् बनने के लिए प्रेरित किया है।

प्लास्टिक के उपयोग ने दुनिया को नष्ट कर दिया है और हवा को प्रदूषित बना दिया है। लेकिन उसके प्रयास हवा को स्वच्छ बना रहे हैं।

उन्होंने सभी को कम से कम 4-5 पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रेरित किया। उनका पृथ्वी बचाओ आंदोलन बहुत सफल रहा है।

Saalumarada Thimmakka – पुरस्कार और प्रशंसा

साल्लुमारदा थिमक्का ( Saalumarada Thimmakka ) को अपने निजी जीवन में कई कठिन समय का सामना करना पड़ा और कभी भी किसी से वित्तीय सहायता नहीं मिली।

पर फिर भी अपने प्रयासों सेउन्होंने कई स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते हैं। 

उन्हें 1996 में राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार मिला ।

यह वह समय है जब पूरी दुनिया को उनके और उनके वनीकरण परियोजना के बारे में व्यक्तिगत स्तर पर पता चला।

उन्हें 2019 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार भी दिया गया है।

हालांकि उसका घर प्रमाण पत्र और पुरस्कारों से अभिभूत है, लेकिन उनके कार्य आगे बढ़ने के लिए वित्तीय सहायता की कमी है।

वह पूरी तरह से दुनिया को बेहतर बनाने और अगली पीढ़ी के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए समर्पित है।

प्रकृति के प्रति इस दृढ़ निश्चय और लगाव ने उसके जीवन को 100 से अधिक वर्षों का बना दिया है।

Saalumarada Thimmakka साल्लुमारदा थिम्मक्का का जीवन – सबके लिए प्रेरणा

साल्लुमारदा (Saalumarada Thimmakka) और उनके पति ने प्रसिद्धि पाने के लिए यह सब नहीं किया। उन्होंने प्रकृति के साथ एक होने के लिए और आंतरिक शांति के लिए ऐसा किया।

वे दोनों दिन-रात पौधों की देखभाल करते थे और कई बार काम पर भी नहीं जाते थे।

वे मवेशियों और आवारा पशुओं से पौधे की रखवाली करते थे ताकि पौधे पेड़ बन सकें।

जिस क्षेत्र में वे रहते थे वह पेड़ों के बढ़ने के लिए पानी काम था । इसलिए उन्हें कई बार काफी दूर जाके पानी लाना पड़ता था।

पति की मौत के 5 साल बाद ही उनका काम दुनिया भर के लोगों को पता चला । उनके पेड़ों के वनीकरण में सकारात्मक भूमिका ने कर्नाटक राज्य को विश्व मानचित्र पर लाया ।

वित्तीय समस्या कभी इन्हे अपने सपनों के पीछे जाने से रोक नहीं पेयी।

वृक्ष माते का कहना है की – प्रत्येक व्यक्ति द्वारा लगाया गया एक पेड़ इस पूरी दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर स्थान बना देगा।

सारांश :

प्रेरणा समाज के किसी भी वर्ग से आ सकती है। 

आर्थिक रूप से वृक्षामाते समाज के निचले वर्ग से ताल्लुक रखने की वजह से वनीकरण कार्य के लिए प्रचार करने के लिए संसाधन नहीं थे उनके पास। फिर भी यह कमी उन्हें अपने लक्ष्य से रोक नहीं पेयी।

वह हमेशा माँ प्रकृति के करीब रहना चाहती थी और उन्हें एक माँ की तरह पौधों की देखभाल करने में शांति मिलती थी। और यही उनकी प्रेरणा का स्रोत है।

धीरे धीरे उनका यह प्रयास इतना बड़ा हो गया की कि बैंगलोर शहर के पास राजमार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति ने इस बदलाव को देखा कि उन्हें एक पहचान मिली।

वह हमेशा पर्यावरण में सुधार करना चाहती है और कई लोगों के लिए रोल मॉडल बन गई है।

न केवल भारत में, बल्कि उनके काम की प्रशंसा पूरी दुनिया में की जा रही है और दुनिया भर में एक उदाहरण के रूप में उनका नाम लिया जाता है।

उसे सम्मान के रूप में पूरे देश में पेड़ लगाने के लिए कहा जाता है। वह आगे अपने गांव के करीब एक अस्पताल बनाने का लक्ष्य रखती है और बेहतर तरीके से मनुष्यों की सेवा करना चाहती है।

उसके गाँव के पास स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत अच्छी नहीं हैं, इसलिए वह अपने गाँव में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक अस्पताल स्थापित करना चाहती है।

उन्होंने यह दिखाया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है अगर मन में विश्वाश है तो कोई भी लक्ष्य पाना मुश्किल नहीं है।



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