Cinnamon in hindi – Dalchini ke fayde | दालचीनी के फायदे

Table of Contents

Cinnmon in hindi – दोस्तों आज हम सिनेमन ( Cinnamon ) की बात करेंगे। Cinnamon को हिंदी में क्या कहते हैं और आज हम जानेंगे की dalchini ke fayde ( दालचीनी के फायदे ) क्या है।

दलचीनी के सम्बंधित कुछ रोचक बातें

क्या आपको पता है Cinnmon ( दालचीनी ) का उपयोग एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में होता है।

Cinnamon meaning in hindi – सो Cinnamon को हिंदी में दालचीनी कहते हैं जैसा की आप अब तक समझ गए होंगे ।

दालचीनी का नाम लगभग हम सब लोग जानते हैं। बस यह नहीं जानते की dalchini in english Cinnmon होता है। दालचीनी लगभग हर किसी के किचन में पाया जाता है।

ऐसे देखें तो हर भारतीय किचन में एक महत्वपूर्ण मसाला है। इसे मसालों की रानी भी कहा जाता है और इसका उपयोग न सिर्फ खानों का स्वाद बढ़ाने में होता है बल्कि औषदि के रूप में काफी होता है।

सो दालचीनी के बारे में अब हम सब थोड़ा बहुत तो जानते हैं। सो आज जानेंगे की दालचीनी के फायदे ( dalchini ke fayde in hindi ) क्या है ?

इसलिए आज मै आपको दालचीनी की सारी जानकारी दूंगी। उम्मीद करती हूं की यह आपको पसंद आएगी।

Cinnmon hindi | तो दालचीनी क्या है ?

सो दालचीनी का वैज्ञानिक नाम क्या है ?

दालचीनी का वैज्ञानिक नाम सिन्नेमोमम वेरुम (Cinnamomum verum) है।

दालचीनी का पेड़ लौरेसिई (Lauraceae) परिवार से सम्बन्ध रखता है।

इस पेड़ की छाल को निकाल के पहले सुखाया जाता है । जब खाल सूख जाती है तो वह गोलाकार सी बन जाती है। इसी सूखी हुई गोलाकार चीज को हम दालचीनी कहते हैं।

सो दालचीनी (Cinnamom) का उपयोग खाना बनाने के मसाले के रूप में इस्तेमाल होता है। इसकी खुशबु बहुत ही सुन्दर होती है और इसलिए यह खाने का स्वाद बहुत ज्यादा बढ़ा देती है।

दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट तत्वों के आलावा कई विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाये जाते हैं।

यह त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में काफी मददगार होता है । यही वजह है की इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में इतना होता है।

सो दालचीनी की तासीर कैसी है ?

दालचीनी की तासीर गर्म होती है।

तासीर गर्म होने की वजह से कफ एवं वात रोगों के लिए दालचीनी अत्यधिक फायदेमंद होती है।

इसलिए यह भी समझना जरूरी है की गर्म तासीर वाले लोगों को या पित्त की समस्या वाले लोगों को दालचीनी नुकसान पहुँचा सकती है।

अतः यह जरूरी है की अगर आप इसे दवाई के रूप में इस्तेमाल करना चाह रहे हैं तो एक बार किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर के सलाह ले लें।

क्या आप दालचीनी का पेंड लगा सकते हैं ? बिलकुल आप यह पेंड अपने गार्डन में भी लगा सकते हैं पर आपको यह पता होना चाहिए की यह पेंड लगभग दस से पंद्रह मीटर तक लम्बा होता है।

यह पेड़ अधिकतर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

इस पेड़ की छाल थोड़ी पतली होती है। इस छाल का आकार गोल और इसका रंग लाल और थोड़ा भूरा होता है। अगर आपको तारपीन का तेल पता है तो आपको बता दूं की दालचीनी के फलों में तारपीन के तेल जैसी गंध आती है और दालचीनी की पत्तियों को मसलने के बाद उनमे से भी तीखी गंध निकलती है।

इसके फलों का रंग सफ़ेद या हरा होता है।

आपको बता दूं की इस पेंड की पत्तियों का उपयोग मच्छरों को मारने वाली दवाई बनाने में इस्तेमाल होता है।

Dalchini ke fayde in hindi | Benefits of Cinnamon in Hindi

सो आइये जानते हैं की दालचीनी के क्या क्या फायदे हैं ( Benefits of Cinnamon in hindi ) और फिर देखेंगे की दालचीनी कितने तरह की होती है।

सो पहले यह जान लेते हैं की दालचीनी में क्या क्या पोषक तत्वा पाए जाते हैं ? दालचीनी पे प्रचुर मात्रा में –

  • प्रोटीन,
  • कार्बोहाइड्रेट,
  • लाइकोपीन,
  • विटामिन ई,
  • कैल्शियम,
  • एंटीओक्सीडेंट ,
  • पौलिफेनोल,
  • मेंगनीज,
  • सोडियम,
  • जिंक,
  • विटामिन सी,
  • थियामिन,
  • नियासिन,
  • पैंटोथैनिक एसिड,
  • राइबोफ्लेविन,
  • विटामिन-बी 6,
  • कैल्शियम,
  • आयरन,
  • मैग्नीशियम,
  • फास्फोरस,
  • पोटेशियम,
  • कैरोटीन बीटा,
  • विटामिन-ए,
  • फोलेट,
  • फ़ाइबर,

सो दालचीनी में ऊपर दिए हुए विटामिन और मिनरल और एंटी इन्फ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं। सो इतना फायदेमंद है दालचीनी।

आइये देखते हैं की Dalchini ke fayde क्या हैं ? सो दालचीनी एक मसाला ही नहीं पर एक औषधि है।

यह मसाले के रूप में खाने का स्वाद तो बढ़ाता ही है पर आपको स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। इसके कई स्वास्थ्यवर्दक फायदे हैं जिसको हम एक करके एक देखते हैं।

पर मेरी एक बात का ध्यान रखिये। आप खुद अपने आप डॉक्टर न बनें। अगर आप इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं तो एक बार अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर के सलाह जरूर ले लें।

ह्रदय को रखता है स्वस्थ

दालचीनी में पाए जाने वाले तत्व LDL को कम करके हदय को स्वस्थ बनाते हैं। अगर आपका LDL ( जिसे ख़राब कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं ) बढ़ा हुआ है तो आपके ह्रदय के लिए ठीक नहीं है।

दालचीनी में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जो किसी भी तरह की सूजन को कम करते हैं।

दालचीन और शहद को मिलाकर लेने से ह्रदय से सम्बंधित हाई ट्राइग्लिसराइड, हाई ब्लड प्रेशर जैसी कई समस्यायों को दूर करे में मदद होता है।

ब्लड शुगर को काम करने में मदद

अगर आपके ब्लड शुगर बढ़ा हुआ है तो डायबिटीज होता है। डायबिटीज पर नियंत्रण पाने के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है।

दालचीनी में पॉलीफेनॉल्स सीरम पाया जाता है जो रक्त में शकरा और इंसुलिन का प्रभाव कम करता है।

यह डायबिटीज के रोगियों को बहुत फायदा पहुँचात है। सो दालचीनी में एंटी डायबिटिक गुण है जो डायबिटिक के मरीजों को काफी फायदा देता है।

एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल

दालचीनी में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल तत्व मिलते हैं। जो इसे एक बढ़िया औषधि बनाते हैं।

यह तत्व शरीर पर मौजूद बेक्टीरिया के संक्रमण को ख़त्म मदद करते हैं एवं बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं।

दालचीनी में एंटी-फंगल तत्व भी पाया जाता है जो फंगल इन्फेक्शन को काम करने में मददगार होता है।

सूजन को कम करने में मदद – एंटी इन्फ्लमेट्री

दालचीनी में फ्लेवोनोइड यौगिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। यह शरीर में किसी तरह की सूजन को काम करने में मदद करते हैं।

कहते हैं की दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर लेप लगाने से शरीर के किसी भी अंग में चोट की वजह से आई सूजन भी कम होती है। सो दालचीनी सूजन कम करने में उपयोगी साबित होता है।

वजन काम करने में मदद

दालचीनी में विटामिन सी और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है की दालचीनी का उपयोग वजन कम करने में किया जाता है।

कहते हैं की रोज सुबह सहद के साथ चुटकी भर दालचीनी पाउडर लेने से चर्बी काम करने में मदद मिलती हैं।

सांस संबंधी रोग में है लाभकारी

फेफड़े हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग में एक है जो हमें जीवित रखते है सांस की बीमारी से बचने के लिए फेफड़ो का ठीक से काम करना जरुरी है।

जब फेफड़ों के अंदर पाई जाने वाली साँस की नली में किसी तरह की सूजन आ जाती है या कोई इन्फेक्शन हो जाता है तब किसी भी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में ये बीमारी अस्थमा का रूप भी ले सकती है।

दालचीनी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो किसी भी तरह के बैक्टीरियल इन्फेक्शन को कम या नष्ट करके फेफड़ों को इन्फेक्शन और सूजन से बचाने की क्षमता रखता है ।

अतः एक गिलास दूध, कॉफी या ग्रीन टी में एक चौथाई चम्मच दालचीनी मिलाकर पीने से श्वसन सम्बन्धी रोग कम हो सकते हैं।

दिमाग को स्वस्थ रखे

स्वस्थ और तेज दिमाग एक अच्छी सेहत की निशानी है कई बार अपनी लापरवाही के कारन हम इसका नुकसान कर बैठते है और फिर कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जैसे नींद ना आना ,अन्य मानसिक रोग

अक्सर हमारा दिमाग या मस्तिष्क तनाव से ग्रस्त रहता है इसलिए स्वस्थ मस्तिष्क बनाने के लिए सबसे पहले दिमाग को तनाव से मुक्त होना जरुरी है।

दालचीनी केवल शारीरिक रोगों को ही दूर नहीं करती है बल्कि मानसिक रोगों को भी दूर करने का काम करती है। 

दालचीनी का लगभग एक सौ किस्में हैं। दालचीनी में  पॉलीफेनोल , मैंगनीज, आयरन, फाइबर, फाइटोकेमिकल्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो होने वाले तनाव को दूर कर मस्तिष्क को कार्यशील बनाते हैं।

यहाँ ये बात भी जानने योग्य है की दालचीनी याददाश्त को बढ़ाने का भी काम करती है। अतः दालचीनीन  प्राचीन काल से ही अपने गुणों के कारण सोने से भी ज्यादा कीमती मानी जाती है ।इसके इस्तेमाल से दिमाग को पूरी तरह स्वस्थ रखा जा सकता है।

दालचीनी त्वचा सम्बंधित बिमारियों में लाभकारी

दालचीनी अपनी सुगंध से ही नहीं बल्कि अपने गुणों के कारन भी मसालों की रानी मानी जाती है इसका उपयोग त्वचा को स्वस्थ रखने वाली आयर्वेदिक दवाइयों के लिए भी माना जाता है। ऐसा मसाला है जिसका उपयोग हर भारतीय घर में किया जाता है।

दालचीनी के उपयोग से शरीर की त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाया जाता है।

दालचीनी में पाए जाने वाले गुण त्वचा पर होने वाले खाज, खुजली, मुहांसो, दाग-धब्बों तथा सनबर्न जैसे कई समस्याओं को कम करते हैं।

दालचीनी के पाउडर में शहद और नींबू मिला कर चेहरे पर लगाने से मुहांसों और दाग-धब्बों की समस्या में आराम मिलता है।

दालचीनी से बनाये पेट और पाचन तंत्र को मजबूत

इस समय लगभग हर कोई पेट की किसी न किस समस्या से परेशान है इसकी वजह आजकल का खानपा, पाचन तंत्र का गड़बड़ होना मतलब हजार बीमारी का घर पाचनतंत्र !!

दालचीनी पेट और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है। जैसा की ऊपर बताया दालचीनी में फाइबर, एंटी-बैक्टीरियल और माइक्रोबियल तत्व पाए जाते हैं तो यह तत्व पेट और पाचन तंत्र को खराब करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।

साथ ही भोजन भी आसानी से पच जाता है.यदि आप अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो दालचीनी का सेवन आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

हड्डियों को मजबूत बनायें

दिनभर के काम से और गलत तरीके का खाना पीना खाने के कारण अधिकतर लोगो को हड्डियों से सम्बंधित कई परेशानियाँ हो जाती हैं।

कैल्शियम एवं मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा दालचीनी में पायी जाती है जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है साथ ही हड्डियों के दर्द को भी दूर करने में मदद करता है।

हड्ड‍ियों की मजबूती के लिए लोग सालों से दालचीनी वाले दूध का इस्तेमाल करते आ रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो इस दूध के नियमित सेवन और इसके तेल की मालिस से सभी प्रकार के दर्द में राहत मिलता है।

कैंसर जैसे रोग में फायदेमंद

कैंसर जैसे घातक रोग को रोकने में दालचीनी फायदेमंद औषधि है यद्यपि ये पूर्ण इलाज नहीं है लेकिन दालचीनी में कीमोप्रेंटिव गुण पाया जाता है जो कैंसर की कोशिकाओं के विकास को और कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक दालचीनी में एंटी कैंसर, एंटी-ऑक्सीडेंट और इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं यह तत्व ट्यूमर कैंसर जैसी कई समस्याओं को प्रभावी तरीके से काभी हद तक कम करते हैं।

दालचीनी जोड़ों में फायदेमंद

गठिया का दर्द उम्र के किसी भी दौर में जोड़ों के लिए काफी पीड़ा दायी होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसका कोई सटिक इलाज नहीं है।

इस बीमारी से राहत पाने का एक ही तरीका है, इसके दर्द को कम करना।दालचीनी में उन आयुर्वेदिक और लोकप्रिय जड़ी बूटियों में से एक है जिनका इस्‍तेमाल प्राचीन काल से जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है।

दालचीनी में एन्टी-इन्फ्लैमटॉरी और एन्टी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो गठिये के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो गठिया के रोगियों में सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।

प्रतिदिन सुबह शाम दालचीनी का सेवन दूध या शहद के साथ करने से जोड़ों में होने वाले दर्द या गठिया वाय के दर्द में आराम मिलता है।

आप चाहे तो इस पेस्ट को दर्द वाले हिस्से पर लगा भी सकते हैं. अगर पेस्ट खाने या लगाने का मन ना हो तो आप इसे गर्म पानी में मिलाकर पी भी सकते हैं. आराम के लिए इसका नियमित सेवन करें.  

दालचीनी के अन्य फायदे क्या हैं ?

नीचे दालचीनी के कुछ और फायदे ( some more benefits of Cinnamon in hindi ) दे रही हूं।

  1. दालचीनी को मसालों की रानी कहा जाता है।
  2. दालचीनी खानो में स्वाद को बढ़ाता है।
  3. एक चुटकी दालचीनी को अगर गरम पानी में मिला कर कुल्ला करने से मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है।
  4. महिलाओ के मासिक धर्म में देरी होने की समस्या होने पर अगर दालचीनी लिया जाये तो लाभ मिलता है।
  5. सर्दी, खांसी और ठंड लग के बुखार होने पर दूध में दालचीनी डालकर पीने से फायदा मिलता है।
  6. दांत या दाढ़ में दर्द होने पर दालचीनी के तेल की दांतो पर मालिश करने से फायदा होता है ।
  7. नयी माताओं के लिए दालचीनी काफी फायदेमंद होती है
  8. दालचीनी से बना फेसपैक झुर्रियों को कम करने में फायदेमंद होता है।
  9. दालचीनी बालों की समस्या के लिए रामबाण है।
  10. दालचीनी रुसी को कम करता है।
  11. बालों को लम्बा , सुन्दर और चमकदार बनायें।
  12. दालचीनी का उपयोग याददाश्त बढ़ता है।

दालचीनी का उपयोग कैसे करें | How to use Cinnamon in Hindi

प्राचीन समय से ही लोग दालचीनी के गुणों उसके फायदे को जानते थे।

आप कई तरीकों से दाल चीनी का इस्तेमाल खाने में कर सकते हैं।

जैसे दालचीनी को दूध में मिला के , दालचीनी चाय बनाके , दालचीनी शहद के साथ , दालचीनी पाउडर बना के , दालचीनी सूप बना के या दालचीनी कॉफी के रूप में आप इसका उपयोग कर सकते हैं।

दालचीनी को पानी में उबालकर और गरारा करने से गले तथा मुंह से सम्बन्धी समस्याएं दूर जाती हैं।

दालचीनी का गरम मसाले के रूप में व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

दालचीनी का उपयोग कब करें | When to use Cinnamon in hindi

दालचीनी एक घरेलु मसाला है। इसे आप अपने खाने की चीजों के साथ ले सकते है। और इसे औषधी भी माना जाता है।

दालचीनी का उपयोग

  • सुबह चाय में मिला के पी सकते हैं
  • दोपहर खाने में दाल या सब्जी में मिक्स करके
  • शाम को सूप में या चाय में डाल के पी सकते हैं

डालकर कर सकते है।

यदि आप दालचीनी दूध के साथ लेना चाहते हैं तो इसे रात को सोने से पहले लें। दालचीनी के दूध से अच्छी नींद आती है।

क्या दालचीनी से नुक्सान भी होता है | Side Effects of Cinnamon in Hindi

दालचीनी मसाले के रूप में तो इस्तेमाल होता ही है , पर आपको यह ध्यान रखना है की दालचीनी एक औषधि भी है और इसलिए अगर आप इसे एक औषधि के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए।

फिर भी इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट हैं और आइये थोड़ा उन्हें जान लेते हैं ताकि आपको इसकी जानकारी रहे।

  • क्योंकि दालचीनी की तासीर गर्म होती हैं इस कारण महिलाओं को गर्भ के समय दालचीनी का उपयोग हरगिज नहीं करना चाहिए इसका सेवन करने से गर्भ खराब होने या प्रसव जल्दी हो जाने का डर रहता है।
  • एसिडिटी की समस्या में दालचीनी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • दालचीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से लीवर खराब हो सकता है।
  • दालचीनी गर्म होने के कारण अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से कई तरह की एलर्जी हो सकती हैं।

Types of Cinnamon in Hindi | दालचीनी कितने तरह की होती है ?

दुनिया में दालचीनी चार तरीके की पायी जाती है और यह इसपे निर्भर करता है की इसकी उत्पत्ति कहाँ हुई है ।

चलिए जानते हैं इन चारों के बारे में।

इंडोनेशियन दालचीनी / Indonesian Cinnamon

इंडोनेशियन दालचीनी को पैडंग कैसिया भी कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम बुरमानि है।

इस दालचानी का 70 प्रतिशत इंडोनेशिया से ही पूरे विश्व में निर्यात किया जाता है इसलिए इसे इंडोनेशियन दालचीनी कहते हैं।

भारत में इसका इस्तेमाल कम होता है ।

यह दालचीनी इसके दूसरे प्रकार सीलोन दालचीनी से सस्ती होती है। इंडोनेशियन दालचीनी की छाल मोटी और सुगन्धित होती है।

सीलोन दालचीनी / Ceylon Cinnamon

इस दालचीनी का वैज्ञानिक नाम Zeylanicum है। सीलोन दालचीनी की छाल पतली होती है एवं इस दालचीनी में कूमेरिन की मात्रा सबसे कम पाई जाती है इसलिए सीलोन दालचीनी का उपयोग सर्वाधिक होता है।

सीलोन दालचीनी का उपयोग अधिक होने की वजह से इसका दाम ज्यादा है।

चाइनीज दालचीनी / Cassia Cinnamon

चाइनीज दालचीनी को कैसिया दालचीनी (Cassia Cinnamon) भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Aromaticum है।

कैसिया दालचीनी तीखी और हलकी कड़वी होती है। अधिकतर इसका इस्तेमाल दवाइयों में किया जाता है।

वियतनामी कैसिया / साइगॉन दालचीनी

Saigon Cinnamon / साइगॉन दालचीनी को वियतनामी कैसिया भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Loureiroi है।

यह दालचीन अन्य प्रकार की दालचीन के मुताबिक अधिक सुंगधित होती है। इसका भी काफी उपयोग हो रहा है आजकल।

साइगॉन दालचीनी में कूमेरिन की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है। कूमेरिन की मात्रा के अधिक सेवन करने से यह शरीर के लीवर को खराब कर सकता है।

इसलिए साइगॉन दालचीनी का सेवन ध्यान से करना चाहिए और निश्चित मात्रा में करें।

दालचीनी के इस्तेमाल की शुरुआत कब से हुई ?

दालचीन का उपयोग भारत में कई हज़ारों वर्षों से किया जा रहा है। लेकिन सबसे पहले दालचीनी कहाँ पाई गई थी ?

अब इसके बारे में कहना तो मुश्किल है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि दालचीनी की खोज एक पुतर्गाली ने सबसे पहले श्रीलंका में की थी।

लेकिन कहा जाता है की लगभग 2000 ईसा पूर्व दालचीनी का निर्यात मिस्र और और यूरोप के अन्य देशों को किया जाता था।

आज वियतनाम, श्रीलंका, चीन ,इंडोनेशिया और भारत दालचीनी के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक माने जाते हैं। दालचीनी के पेड़ सबसे ज्यादा दक्षिण भारत में पाए जाते हैं। खासकर तमिल नाडु और केरल में दालचीनी का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।

भारत प्राचीन काल से ही दालचीनी का निर्यात करता। इटली, ग्रीस, मिस्र आदि देशों को दालचीनी का निर्यात सबसे ज्यादा होता है।


सारांश ( Cinnamon in hindi )

सो दोस्तों हमारे किचन में ऐसी कई चीजें होती हैं जिसके बारे में हम जानते हैं और उनका इस्तेमाल मसालों के रूप में करते हैं।

ये सारे मसाले औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किये जाते हैं।

दोस्तों उम्मीद करती हूं की आपको यह जानकारी benefits of Cinnamon in hindi पसंद आयी होगी।

अगर आप दालचीनी चाय , दालचीनी दूध , दालचीनी सूप आदि कि रेसेपी खोज रहे हैं या इनके फायदे के बारे में और जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख भेजें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *