National Maritime Day India : भारत में हर साल 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस ( नेशनल मेरीटाइम डे ) मनाया जाता है। यह अंतरमहाद्वीपीय वाणिज्य और वैश्विक अर्थव्यवस्था में जागरूकता दिखाने के लिए मनाया जाता है।
समुद्र परिवहन , दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में सबसे अच्छी तरह से संगठित परिवहन के रूप में जाना जाता है। इसे सुरक्षित और सुदृढ़ भी माना जाता है। यह परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल तरीका है। National Maritime Day India इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भी मनाया जाता है
समुद्र परिवहन ,ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दिया है क्योंकि देशों के बीच आदान-प्रदान होता है। इस विधा का उपयोग सदियों से मानव द्वारा किया जा रहा है। वास्तव में, यह कुछ दशक पहले महाद्वीपों में माल भेजने का एकमात्र प्रमुख तरीका था।
भारत में औपचारिक शिपिंग कब शुरू हुई?
यह 1919 में 5 अप्रैल को शुरू हुआ जब SS Royalty ( SS रॉयल्टी ) नमक जहाज ने मुंबई से लंदन की यात्रा की।
यह सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लिमिटेड का पहला जहाज था।
लेकिन सिंधु सभ्यता के दौरान भी समुद्र के रास्ते व्यापार होता था। सात समुंदर पार लोग व्यापार के लिए आते थे। वे अपनी जरूरत का सामान खरीदते थे और अपने घर से लाए गए सामानों कोबेचते थे ।
सो शिपिंग हमेशा से व्यापर का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
भारत में पहला डॉक किस नाम से जाना जाता है?
भारत में ज्ञात पहली डॉक ( जिसे हम गोदी कहते हैं ) लोथल में है। कहते हैं की यह 2400BC से है।
पुरुषों और महिलाओं द्वारा की गई यात्रा न केवल व्यापार के लिए थी, बल्कि यह धर्म के प्रसार के लिए भी की गई थी।
इन यात्राओं के कारण बहुत सारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समामेलन हुए हैं। हड़प्पा के लोगों को हाइड्रोग्राफी या समुद्री इंजीनियरिंग का बहुत ज्ञान था क्योंकि उन्होंने एक ट्रैपोज़ाइड डॉक बनाया था।
पुराने ज़माने में कई ऐसे शाशक हुए जिनके पास विशाल नौ सेना हुआ करती थी। खासकर वो राज्य जो समुद्र तट से लगे हों।
नवपाषाण ( Neolithic ) युग के दौरान, उत्खनन के माध्यम से पाया गया है, कि स्वदेशी लोग नाव बनाने के डिजाइन और विधि को जानते थे।
यह भी दर्शाता है कि उनके पास सुंदर डिजाइन बनाने के लिए जटिल उपकरण थे।
अंग्रेज भी उसी रास्ते से भारत आए थे । वे जहाजों के माध्यम से व्यापार करने के लिए चीजें खरीदते थे और उसे वापस अपने देश ले जाते थे। धीरे धीरे उनके सैनिकों ने आना शुरू किया और भारत पे कब्ज़ा किया। इससे साबित होता है की नौसेना एक अहम भूमिका निभाती है अंतरराष्ट्रीय स्तर पे।
आज की नौसेना
आजादी के बाद के भारतीय नौसेना के बेड़े में 33 जहाज और 538 अधिकारी हमारी तटरेखा को सुरक्षित रखते हैं।
भारत का समुद्र तट 7500 किलोमीटर लंबा है। लगभग 1280 छोटे और बड़े द्वीप हैं जिनकी सुरक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
नौसेना अन्य मित्र राष्ट्र देश की नौसेनाओं के साथ वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास करती है। नौसेना ने अमेरिकी , इजरायल , ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की नौसेना के साथ अभ्यास किया है और ये वार्षिक तौर पे किया जाता है।
ऐसा इसलिए किया जाता है की अगर युद्ध के स्थिति होती है और युद्ध होता है, तो नौसेना तैयार होगी और एक-दूसरे को समन्वय और मदद करने में सक्षम होगी।
पूरे बेड़े में फ्रिगेट्स, पनडुब्बी, कोरवेट और विध्वंसक शामिल हैं। कुछ स्वदेशी रूप से बनाए गए हैं और कुछ अन्य देशों से खरीदे गए हैं। वे सभी विशेष कार्यक्रमों के तहत विशेष रूप से लड़ाई के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
मुश्किल के समय में, भारतीय नौसेना और उसके लोगों ने राष्ट्र की सीमाओं को अच्छी तरह से संरक्षित किया है। वे भूमि की अखंडता को बनाए रखते हैं और प्राकृतिक आपदा के समय मदद भी करते हैं।
ऑपरेशन कैक्टस, जूनागढ़ का भारतीय एकीकरण, संयुक्त राष्ट्र द्वारा शांति मिशन, गोवा की मुक्ति, 1965 और 1972 के युद्ध जैसी विभिन्न परिस्थितियां में नौसेना ने अपना परिक्रम दिखाया है ।
इसके अलावा खाड़ी युद्ध के दौरान वहां पे फंसे हुए भारतीयों को वहां से बाहर निकालना भी एक चुनौती पूर्ण काम था तो भारतीय नौसेना ने सफलता से निभाया।
निजी शिपिंग उद्योग
भारत में, लगभग 43 शिपिंग कंपनियां हैं। उनके पास कुल 1401 जहाज है और इनका नंबर बढ़ता जा रहा है । उनके द्वारा ले जाया गया कुल सामान लगभग 12.69 टन है।
भारत समुद्री उद्योग में उत्कृष्ट है। यह समुद्री संगठन ( Maritime Organization ) का सदस्य भी है।
भारत में पहला राष्ट्रीय समुद्री दिवस ( First National Maritime Day India)
यह पहली बार 5 अप्रैल 1964 को मनाया गया था। यह पहली बार था जब एक स्वदेशी नेविगेशन कंपनी ने यूनाइटेड किंगडम ( United Kingdom ) की यात्रा की।
यह पहली बार था जब भारतीय कंपनी का जहाज ने समुद्री यात्रा शुरू की , क्योंकि पहले सभी शिपिंग कंपनियों को ब्रितानियों द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित किया जाता था।
बाद में अंतरमहाद्वीपीय वाणिज्य शुरू हुआ और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी उछाल आया।
National Maritime Day India Awards – नेशनल मेरीटाइम डे पुरुस्कार
हर दिन इस अवसर के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है। उन लोगों को पुरस्कार दिया जाता है , जिन्होंने भारतीय समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है।
पुरस्कार विजेताओं को इस छेत्र निरंतर योगदान के लिए पुरस्कार दिया जाता है।
वरुण पुरस्कार को प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इसमें एक स्क्रॉल ऑफ ऑनर और एक वरुण भगवान की प्रतिमा शामिल है।
उसी दिन NMD अवार्ड ऑफ़ ऑफ एक्सीलेंस भी प्रदान किया जाता है। यह एक ट्रॉफी है । यह किसी व्यक्ति को समुद्री क्षेत्र में उसकी जीवन भर की उपलब्धियों के लिए दिया जाता है। यह आम तौर पर वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को समुद्री क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है।
अन्य पुरस्कार समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में दिया जाता है। इस पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ योग्य लोगों के लिए एक ट्रॉफी भी शामिल है।
राष्ट्रीय समुद्री दिवस से जुड़े अन्य तथ्य
- वर्ष 2020 में, उत्सव का 57 वां संस्करण आयोजित किया गया था। इस उत्सव का विषय – sustainable shipping for a sustainable planet.
- वर्ष 2019 का विषय हिंद महासागर था – अवसरों का महासागर ( Indian ocean – An ocean of opportunities.)।
- वालचंद हीराचंद, INSA (Indian National Shipowner Association) के पहले अध्यक्ष थे, जो सिंधिया स्टीम नेविगेशन के अध्यक्ष थे।
सारांश
किसी देश की नौसेना सशस्त्र बलों का अभिन्न अंग है। वे प्राकृतिक आपदाओं की तरह कठिन समय के दौरान भी सीमाओं की रक्षा करने में मदद करते हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में अच्छा प्रदर्शन करने वाली शिपिंग कंपनियां हैं। उन्होंने देश को परिवहन उद्योग की प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में मदद की है।
जहाजों के माध्यम से यह परिवहन एक पुरानी विधि है। इसका उपयोग सिंधु सभ्यता द्वारा भी किया गया था। यह वही मार्ग है जिससे ब्रिटिश भारत आए थे और इतने वर्षों तक भारत पर शासन किया।
लेकिन अब स्वतंत्रता के बाद, हमारी नौसेना ने भारत की स्थिति को मजबूत किया है।
उम्मीद करती हों दोस्तों आपको मेरा ये लेख National Maritime Day India | नेशनल मेरीटाइम डे पसंद आया होगा।
अगर आपका कोई सुझा है तो आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिख भेजें !